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Occassional Poetry

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता है कोई …

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चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या हम ने भी कीं दर ओ दीवार से …

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ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते, अंदर …

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जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

जैसा नज़र का शौक़

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका शहर करिश्मा साज़ तमाशा न कर सका, दुनिया ने …

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वो जो हम में तुम में क़रार था…

वो जो हम में

वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही यानी वादा …

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रह वफ़ा में कोई साहिब ए जुनूँ न मिला

रह वफ़ा में

, गुलों के रुख़ पे वही ताज़गी का आलम है न जाने उन को ग़म ए रोज़गार क्यूँ …

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हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो

हाल में अपने मगन

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो ये उसी इंसान से मुमकिन है जो ज़िंदा …

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कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़ ए यार के

कभी अपने इश्क़ पे

कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़ ए यार के यूँही बीत जाएँगे ये भी दिन जो …

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ऐ जुनूँ कुछ तो खुले आख़िर मैं किस मंज़िल में हूँ

ऐ जुनूँ कुछ तो

ऐ जुनूँ कुछ तो खुले आख़िर मैं किस मंज़िल में हूँ हूँ जवार ए यार मैं या कूचा …

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बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा

बिछड़ कर उसका दिल

बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा वो थक जाएगा और मेरे गले से आ …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

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हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने