होश वालों को ख़बर क्या बे ख़ुदी क्या चीज़ है
होश वालों को ख़बर क्या बे ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है,
Nida Fazli
होश वालों को ख़बर क्या बे ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है,
कठ पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत सोच से ही सारी उलझन है जीते जाओ
रात के बाद नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी, हँसते हँसते कभी थक
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन
बला वो टल गई सदक़े में जिस के शहर चढ़े हमें डुबो के न अब कोई ख़ूनी नहर
हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ कौन आने वाला है किस का रास्ता देखूँ ? शाम का
फिर गोया हुई शाम परिंदों की ज़बानी आओ सुनें मिट्टी से ही मिट्टी की कहानी, वाक़िफ़ नहीं अब
ज़िहानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला जिसे निगाह मिली उस को इंतिज़ार मिला, वो कोई राह का
मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़ हर तरफ़ है फ़ौज आराई मोहब्बत के ख़िलाफ़, हर्फ़ ए
ठहरे जो कहीं आँख तमाशा नज़र आए सूरज में धुआँ चाँद में सहरा नज़र आए, रफ़्तार से ताबिंदा