जुनूँ से गुज़रने को जी चाहता है
जुनूँ से गुज़रने को जी चाहता है हँसी ज़ब्त करने को जी चाहता है, जहाँ इश्क़ में डूब
General Poetry
जुनूँ से गुज़रने को जी चाहता है हँसी ज़ब्त करने को जी चाहता है, जहाँ इश्क़ में डूब
आँख से आँख मिलाता है कोई दिल को खींचे लिए जाता है कोई, वाए हैरत कि भरी महफ़िल
न मिलता ग़म तो बर्बादी के अफ़्साने कहाँ जाते अगर दुनिया चमन होती तो वीराने कहाँ जाते ?
ये दुनिया है यहाँ दिल को लगाना किस को आता है हज़ारों प्यार करते हैं निभाना किस को
बदले बदले मेरे ग़म ख़्वार नज़र आते हैं मरहले इश्क़ के दुश्वार नज़र आते हैं, कश्ती ए ग़ैरत
कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है, आप लिल्लाह
ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार
आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है ज़िंदगी की है शाम आख़िरी आख़िरी संगदिल आ भी जा अब ख़ुदा
आज फिर गर्दिश ए तक़दीर पे रोना आया दिल की बिगड़ी हुई तस्वीर पे रोना आया, इश्क़ की
ग़म ए आशिक़ी से कह दो रह ए आम तक न पहुँचे मुझे ख़ौफ़ है ये तोहमत तेरे