ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं

ye aish o tarab ke matwaale bekaar ki baaten karte hain

ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार

निगाह ए नाज़ का एक वार कर के छोड़ दिया

nigaah e naaz ka ek waar kar ke chhod diya

निगाह ए नाज़ का एक वार कर के छोड़ दिया दिल ए हरीफ़ को बेदार कर के छोड़

आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए

aankhon se door subah ke taare chale gaye

आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गए, दिल

तक़दीर की गर्दिश क्या कम थी इस पर ये क़यामत कर बैठे

taqdeer ki gardish kya kam thi is par ye qayamat kar baithe

तक़दीर की गर्दिश क्या कम थी इस पर ये क़यामत कर बैठे बेताबी ए दिल जब हद से

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ

duniya ki riwayat se begaan nahi hoon

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ, इस कसरत ए

मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो

mujhe duniya walo sharabi na samjho

मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो मैं पीता नहीं हूँ पिलाई गई है जहाँ बेख़ुदी में क़दम लड़खड़ाए

अब बंद जो इस अब्र ए गुहर बार को लग जाए

ab band jo is abr e guhar bar ko lag jaye

अब बंद जो इस अब्र ए गुहर बार को लग जाए कुछ धूप हमारे दर ओ दीवार को

तल्ख़ हालात में जीने का सबब होते हैं

talkh halaat me jine ka sabab hote hain

तल्ख़ हालात में जीने का सबब होते हैं ख़त जो छुप छुप के लिखे जाएँ अजब होते हैं,

तुम शुजाअत के कहाँ क़िस्से सुनाने लग गए

tum shujaat ke kahan qisse sunane lag gaye

तुम शुजाअत के कहाँ क़िस्से सुनाने लग गए जीतने आए थे जो दुनिया ठिकाने लग गए, उड़ रही

वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़्यादा है

wo log aaye jinhen hausla zyada hai

वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़्यादा है ग़ज़ल में ख़ून का मसरफ़ ज़रा ज़्यादा है, सब अपने आप