ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं
ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार
General Poetry
ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार
निगाह ए नाज़ का एक वार कर के छोड़ दिया दिल ए हरीफ़ को बेदार कर के छोड़
आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गए, दिल
तक़दीर की गर्दिश क्या कम थी इस पर ये क़यामत कर बैठे बेताबी ए दिल जब हद से
दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ, इस कसरत ए
मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो मैं पीता नहीं हूँ पिलाई गई है जहाँ बेख़ुदी में क़दम लड़खड़ाए
अब बंद जो इस अब्र ए गुहर बार को लग जाए कुछ धूप हमारे दर ओ दीवार को
तल्ख़ हालात में जीने का सबब होते हैं ख़त जो छुप छुप के लिखे जाएँ अजब होते हैं,
तुम शुजाअत के कहाँ क़िस्से सुनाने लग गए जीतने आए थे जो दुनिया ठिकाने लग गए, उड़ रही
वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़्यादा है ग़ज़ल में ख़ून का मसरफ़ ज़रा ज़्यादा है, सब अपने आप