अनगिनत फूल इंतिख़ाब गुलाब

anginat phool intikhab gulab

अनगिनत फूल इंतिख़ाब गुलाब आदतें कर गया ख़राब गुलाब, वो है नाराज़ उस की चौखट पर ले के

मेरे क़ातिल को पुकारो कि मैं जिंदा हूँ अभी

mere qatil ko pukaro ki main zinda hoon abhi

मेरे क़ातिल को पुकारो कि मैं जिंदा हूँ अभी फिर से मक़तल को सँवारों कि मैं जिंदा हूँ

कोई हो दर्द ए मुसलसल तो नींद आती है

koi ho dard e musalsam to neend aati hai

कोई हो दर्द ए मुसलसल तो नींद आती है बदन में हो कोई हलचल तो नींद आती है,

कुछ न इस काम में किफ़ायत की

kuch na is kaam me kifayat kee

कुछ न इस काम में किफ़ायत की मैं ने दिल खोल कर मोहब्बत की, सस्ते दामों कहाँ मैं

शजर में शजर सा बचा कुछ नहीं

shazar me shazar sa bacha kuch bhi nahin

शजर में शजर सा बचा कुछ नहीं हवाओं से फिर भी गिला कुछ नहीं, कहा क्या गुज़रते हुए

फ़ैसले वो न जाने कैसे थे

faisle wo na jaane kaise the

फ़ैसले वो न जाने कैसे थे रात की रात घर से निकले थे, याद आते हैं अब भी

इस बार तो ग़ुरूर ए हुनर भी निकल गया

is baar to gurur e hunar bhi nikal gaya

इस बार तो ग़ुरूर ए हुनर भी निकल गया बच कर वो मुझ से बार ए दिगर भी

रास्ते अपनी नज़र बदला किए

raaste apni nazar badla kiye

रास्ते अपनी नज़र बदला किए हम तुम्हारा रास्ता देखा किए, अहल ए दिल सहरा में गुम होते रहे

बला वो टल गई सदक़े में जिस के शहर चढ़े

balaa wo tal gai sadke me jis ke shahar chadhe

बला वो टल गई सदक़े में जिस के शहर चढ़े हमें डुबो के न अब कोई ख़ूनी नहर

हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ

har chamakati qurbat me ek faasla dekhoon

हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ कौन आने वाला है किस का रास्ता देखूँ ? शाम का