वतन से उल्फ़त है जुर्म अपना…
वतन से उल्फ़त है जुर्म अपना ये जुर्म ता ज़िन्दगी करेंगे है किस की गर्दन पे खून ए …
वतन से उल्फ़त है जुर्म अपना ये जुर्म ता ज़िन्दगी करेंगे है किस की गर्दन पे खून ए …
घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे वो गुलाबी कटोरे छलक जाएँगे, हमने अल्फ़ाज़ को आइना कर दिया …
बसा तो लेते नया दिल में हम मकीं लेकिन मिला न आप से बढ़ कर कोई हसीं लेकिन, …
मुख़्तसर बात, बात काफी है एक तेरा साथ, साथ काफी है, वो जो गुज़र जाए तेरे पहलू में …
सूरज से यूँ आँख मिलाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, दुनियाँ से इस्लाम मिटाना मुश्किल क्या नामुमकिन है, मुशरिको …
इश्क़ ने बख्शी है हमें ये सौगात मुसलसल तेरा ही ज़िक्र हमेशा तेरी ही बात मुसलसल, एक …
तअल्लुक़ तर्क करने से मोहब्बत कम नहीं होती भड़कती है ये आतिश दिन ब दिन मद्धम नहीं होती, …
पहले जनाब कोई शिगूफ़ा उछाल दो फिर कर का बोझ गर्दन पर डाल दो, रिश्वत को हक़ समझ …
एक बेवा की आस लगती है ज़िंदगी क्यों उदास लगती है, हर तरफ़ छाई घोर तारीकी रौशनी की …
हक़ीक़तों में बदलता सराब चुभने लगा जो बन सका न हक़ीक़त वो ख़्वाब चुभने लगा, सवाल सख़्त हमारा …