ज़िहानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला

zihanto ko kahan karb se farar mila

ज़िहानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला जिसे निगाह मिली उस को इंतिज़ार मिला, वो कोई राह का

मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़

meri teri dooriyan hai ab ibadat ke khilaf

मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़ हर तरफ़ है फ़ौज आराई मोहब्बत के ख़िलाफ़, हर्फ़ ए

ठहरे जो कहीं आँख तमाशा नज़र आए

thahare jo kahin aankh tamasha nazar aaye

ठहरे जो कहीं आँख तमाशा नज़र आए सूरज में धुआँ चाँद में सहरा नज़र आए, रफ़्तार से ताबिंदा

तलाश कर न ज़मीं आसमान से बाहर

talash kar na zamin aasmaan se bahar nahi hai

तलाश कर न ज़मीं आसमान से बाहर नहीं है राह कोई इस मकान से बाहर, बस एक दो

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे

duaa salam me lipti zaruraten maange

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे क़दम क़दम पे ये बस्ती तिजारतें माँगे, कहाँ हर एक को आती

हुए सब के जहाँ में एक जब अपना जहाँ और हम

hue sab ke jahan me ek jab apana jahan

हुए सब के जहाँ में एक जब अपना जहाँ और हम मुसलसल लड़ते रहते हैं ज़मीन ओ आसमाँ

जो कल हैरान थे उन को परेशाँ कर के छोड़ूँगा

jo kal hairaan the un ko pareshan kar ke

जो कल हैरान थे उन को परेशाँ कर के छोड़ूँगा मैं अब आईना ए हस्ती को हैराँ कर

शाम अपनी बेमज़ा जाती है रोज़

shaam apni bemaza jaati hai roz

शाम अपनी बेमज़ा जाती है रोज़ और सितम ये है कि आ जाती है रोज़, कोई दिन आसाँ

मैं वो दरख़्त हूँ खाता है जो भी फल मेरे

main wo darakht hoon jo bhi fal mere

मैं वो दरख़्त हूँ खाता है जो भी फल मेरे ज़रूर मुझ से ये कहता है साथ चल

पेश जो आया सर ए साहिल ए शब बतलाया

pesh aaya sar e sahil e shab batlaya

पेश जो आया सर ए साहिल ए शब बतलाया मौज ए ग़म को भी मगर मौज ए तरब