कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं

koshish to hai ki zabt ko ruswa karoon nahin

कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं हँस कर मिलूँ सभी से किसी पर खुलूँ नहीं,

कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ

kuch is qadar main khirad ke asar me aa gaya hoon

कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ सिमट के सारा का सारा ही सर

बे घरी का अपनी ये इज़हार कम कर दीजिए

be ghari ka apni ye izhaar kam kar dijiye

बे घरी का अपनी ये इज़हार कम कर दीजिए शेर में ज़िक्र ए दर ओ दीवार कम कर

दुनिया से जिस से आगे का सोचा नहीं गया

duniya se jis se aage ka socha nahi gaya

दुनिया से जिस से आगे का सोचा नहीं गया हम से वहाँ पहुँच के भी ठहरा नहीं गया,

ख़त में उभर रही है तस्वीर धीरे धीरे

khat me ubhar rahi hai tasveer dheere dheere

ख़त में उभर रही है तस्वीर धीरे धीरे गुम होती जा रही है तहरीर धीरे धीरे, एहसास तुझ

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

naa zism saath humare na jaan humari taraf hai

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़ है कुछ भी हम में हमारा कहाँ हमारी तरफ़, खड़े

कितनी आसानी से दुनिया की गिरह खोलता है

kitni aasaani se duniya ki girah kholta hai

कितनी आसानी से दुनिया की गिरह खोलता है मुझ में एक बच्चा बुज़ुर्गों की तरह बोलता है, क्या

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़्यादा थी

izazat kam thi jine ki magar mohlat zyada

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़्यादा थी हमारे पास मरने के लिए फ़ुर्सत ज़्यादा थी, तअज्जुब

ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ

ye kab chaha ki mashahoor ho jaaoon

ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, नसीहत कर रही

घर से निकले थे हौसला कर के

ghar se nikale the hausla kar ke

घर से निकले थे हौसला कर के लौट आए ख़ुदा ख़ुदा कर के, दर्द ए दिल पाओगे वफ़ा