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General Poetry

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के

door khwabon se muhabbat se kinara kar ke

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के जैसे गुजरेगी गुजारेंगे गुज़ारा कर के, अब तो दावा भी …

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लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल

likhta hoon dil ka haal subah o shaam

लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल तुम आते हो बहुत याद, सुबह ओ शाम मुसलसल, …

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ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं

zaabte aur hi misdaq pe rakhe hue

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं आजकल सिदक़ ओ सफ़ा ताक़ पे रखे हुए हैं, वो …

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कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं

kitni sadiyan naa rasi ki intiha me

कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं बे जहत नस्लों की आवाज़ें ख़ला में खो गईं, …

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जो होगा सब ठीक होगा होने दो जो होना है

jo hoga sab thik hoga

जो होगा सब ठीक होगा होने दो जो होना है मुँह देखे की बातें है सब किस ने …

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नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

nasib aazmane ke din aa rahe hai

नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं, जो दिल …

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हँसी में हक़ जता कर घर जमाई छीन लेता है

hansi me haque jata kar

हँसी में हक़ जता कर घर जमाई छीन लेता है मेरे हिस्से की टूटी चारपाई छीन लेता है, …

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दरख्तों से गिरे सूखे हुए पत्ते भी ये इक़रार करते हैं

darakhton se gire sukhe hue patte

दरख्तों से गिरे सूखे हुए पत्ते भी ये इक़रार करते हैं जिन्हें कल तक मुहब्बत थी वो अब …

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ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से

zakhmon ko rafoo kar le

ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से, …

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सज सँवर कर रहा करो अच्छी लगती हो

saj sanvar ke raha karo achchi lagti ho

सज सँवर कर रहा करो अच्छी लगती हो झुमके, बालियाँ, पाज़ेब पहना करो अच्छी लगती हो, मुस्कुराते लब …

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

जैसा नज़र का शौक़

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

ये ज़माने की वफ़ाएं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

असर उस को ज़रा

असर उस को ज़रा नहीं होता

वो जो हम में

वो जो हम में तुम में क़रार था…

रह वफ़ा में

रह वफ़ा में कोई साहिब ए जुनूँ न मिला

हाल में अपने मगन

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो

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नवीनतम प्रकाशित अश'आर / ग़ज़ल

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस