चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है…
चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो …
चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो …
सच ये है कि बेकार का ही हमें गम होता है जैसा हम चाहे दुनियाँ …
ख़्वाबो को मेरे प्यार की ताबीर बख्श दे दिल को मेरे इश्क़ की ज़ागीर बख्श …
उलझे काँटों से कि खेले गुल ए तर से पहले फ़िक्र ये है कि सबा …
वही दर्द है वही बेबसी तेरे गाँव में मेरे शहर में बे गमो की भीड़ …
ग़म के हर एक रंग से मुझको शनासा कर गया वो मेरा मोहसिन मुझे पत्थर …
ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया दरिया ठहर गया है किनारा गुज़र …
दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए मुझको अब इतना भी आसान न समझा …
दिल इश्क़ में बे पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो दरिया हो तो ऐसा हो …
वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया लिबास पहने रहा और बदन उतार …