एक मुसलसल से इम्तेहान में हूँ
एक मुसलसल से इम्तेहान में हूँ जब से रब मैं तेरे जहाँ में हूँ, सिर्फ़ इतना सा है …
एक मुसलसल से इम्तेहान में हूँ जब से रब मैं तेरे जहाँ में हूँ, सिर्फ़ इतना सा है …
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता, ग़लत …
कहते हो तुम्हें हस्ब ए तमन्ना नहीं मिलता कम दाम लगाने से तो सौदा नहीं मिलता, वो धूप …
दुनियाँ ए अक़ीदत में अजब रस्म चली है जो दश्त में मजनूँ था वो मरकज़ मे वली है, …
तेरी आँखों ने आँखों का सिसकना भी नहीं देखा मुहब्बत भी नहीं देखी, तड़पना भी नहीं देखा, नहीं …
जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो हर शख़्स लगता है परेशान ज़रा देख तो लो, …
मौत भी क्या अज़ीब हस्ती है जो ज़िंदगी के लिए तरसती है, दिल तो एक शहर है जुदाई …
इंसान को वक़्त के हिसाब से चलना पड़ता है बाद ठोकर ही सही आख़िर संभलना पड़ता है, हमदर्द …
जिस तरह चढ़ता है उसी तरह उतरता है चोटियों पर सदा के लिए कौन ठहरता है ? बहुत …
दुख और तरह के हैं दुआ और तरह की और दामन ए क़ातिल की हवा और तरह की, …