जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो
जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो हर शख़्स लगता है परेशान ज़रा …
जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो हर शख़्स लगता है परेशान ज़रा …
मौत भी क्या अज़ीब हस्ती है जो ज़िंदगी के लिए तरसती है, दिल तो एक …
इंसान को वक़्त के हिसाब से चलना पड़ता है बाद ठोकर ही सही आख़िर संभलना …
जिस तरह चढ़ता है उसी तरह उतरता है चोटियों पर सदा के लिए कौन ठहरता …
नज़र फ़रेब ए क़ज़ा खा गई तो क्या होगा हयात मौत से टकरा गई तो …
चाँद पर बस्तियाँ तो बसा लोगे मगर चाँदनी कहाँ से लाओगे ? सलब कर लीं …
दुख दर्द के मारों से मेरा ज़िक्र न करना घर जाऊँ तो यारों से मेरा …
अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं …
मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये …