हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता …
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता …
जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा …
सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और दालान कुशादा होता …
हर दिन है मुहब्बत का, हर रात मुहब्बत की हम अहल ए मुहब्बत में, हर बात मुहब्बत की, …
दिलजलों से दिल्लगी अच्छी नहीं रोने वालों से हँसी अच्छी नहीं, मुँह बनाता है बुरा क्यूँ वक़्त ए …
मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते है हँस तालाब पे आते हैं चले जाते हैं, इसलिए अब मैं …
खींच कर रात की दीवार पे मारे होते मेरे हाथों में अगर चाँद सितारे होते, यार ! क्या …
हो चराग़ ए इल्म रौशन ठीक से लोग वाक़िफ़ हों नई तकनीक से, इल्म से रौशन तो है …
मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं रो ही पड़ा हूँ कभी न रोने वाला मैं, क्या …
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है तू नहीं है तो ज़माना भी बुरा लगता है, …