अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो
अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो अपने सहन के बीच में दीवार लगाते क्यूँ हो ? …
अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो अपने सहन के बीच में दीवार लगाते क्यूँ हो ? …
जब भी बैठता हूँ लिखने कुछ लिखा जाता नहीं, एक उसके सिवा कोई मौज़ूअ मुझे याद आता नहीं, …
वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे ? जो कश्तियों को …
चश्म ए तर है सहाब है क्या है अश्क गौहर है आब है क्या है ? मरना जीना …
खो गया है जो उस को खोने दो फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो, सुनों ऐ बस्तियों …
नई पोशाक पहने है पुराने ख़्वाब की हसरत मैं हँस कर टाल देती हूँ दिल ए बेताब की …
वो कौन है जो मुझ पे तअस्सुफ़ नहीं करता पर मेरा जिगर देख कि मैं उफ़्फ़ नहीं करता, …
मरज़ ए इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे, …
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे मर के भी चैन न पाया तो किधर …
धूप सरों पर और दामन में साया है सुन तो सही जो पेड़ो ने फ़रमाया है, कैसे कह …