हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा …
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा …
नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे …
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम …
जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से …
सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और …
हर दिन है मुहब्बत का, हर रात मुहब्बत की हम अहल ए मुहब्बत में, हर …
दिलजलों से दिल्लगी अच्छी नहीं रोने वालों से हँसी अच्छी नहीं, मुँह बनाता है बुरा …
मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते है हँस तालाब पे आते हैं चले जाते हैं, …
खींच कर रात की दीवार पे मारे होते मेरे हाथों में अगर चाँद सितारे होते, …
हो चराग़ ए इल्म रौशन ठीक से लोग वाक़िफ़ हों नई तकनीक से, इल्म से …