मुँह ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे

munh zabani quraan padhte the

मुँह ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे पहले बच्चे भी कितने बूढ़े थे, एक परिंदा सुना रहा था ग़ज़ल चार

नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है

naqoos se garaz hai

नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है

किसी के नाम रुत्बा और न ख़द्द ओ ख़ाल से मतलब

kisi ke naam rutba

किसी के नाम रुत्बा और न ख़द्द ओ ख़ाल से मतलब किरामन कातिबीं को ख़ल्क़ के आमाल से

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया

chisti ne jis zamin

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया,

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

हो मोमिनों को हमेशा ही पयाम ए ईद मुबारक

हो मोमिनों को हमेशा

हो मोमिनों को हमेशा ही पयाम ए ईद मुबारक गगन के पार से आया है सलाम ए ईद

हमारी वजह ए ज़वाल क्या है ? सवाल ये है

हमारी वजह ए ज़वाल

हमारी वजह ए ज़वाल क्या है ? सवाल ये है हराम क्या है, हलाल क्या है ? सवाल

बुग्ज़ ए इस्लाम में पड़े पड़े ही

बुग्ज़ ए इस्लाम में

बुग्ज़ ए इस्लाम में पड़े पड़े ही यहाँ कितनो के क़िरदार गिरे है, सभी मुन्सफ़ गिरे, मनसब गिरे

कितनी मोहब्बतों से पहला सबक़ पढ़ाया

कितनी मोहब्बतों से पहला

कितनी मोहब्बतों से पहला सबक़ पढ़ाया मैं कुछ न जानता था सब कुछ मुझे सिखाया, अनपढ़ था और

नेक बच्चे दिल से करते हैं अदब उस्ताद का

नेक बच्चे दिल से

नेक बच्चे दिल से करते हैं अदब उस्ताद का बाप की उल्फ़त से बेहतर है ग़ज़ब उस्ताद का,