Bashir Badr
घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे
घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे वो गुलाबी कटोरे छलक जाएँगे, हमने अल्फ़ाज़ को …
उम्र तमाम गुज़र जाती है आशियाँ बनाने में
उम्र तमाम गुज़र जाती है आशियाँ बनाने में ज़ालिम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में, …
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम…
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता हज़ारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम …
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को…
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे, कह देना …
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे…
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे, इतनी …
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे…
जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे हज़ारों तरफ़ से निशाने लगे, हुई शाम यादों के …
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र…
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर …
साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं
साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं एक नदी के दो किनारों को …
सोयें कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोये थे…
सोयें कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोये थे हम भी कभी किसी के लिए ख़ूब …