यकुम जनवरी है नया साल है

यकुम जनवरी है नया साल है
दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है,

बचाए ख़ुदा शर की ज़द से उसे
बेचारा बहुत नेक आमाल है,

बताने लगा रात बूढ़ा फ़क़ीर
ये दुनिया हमेशा से कंगाल है,

है दरिया में कच्चा घड़ा सोहनी
किनारे पे गुमसुम महिवाल है,

मैं रहता हूँ हर शाम शिकवा ब लब
मेरे पास दीवान ए ‘इक़बाल’ है..!!

~अमीर क़ज़लबाश

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