आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाहे वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे,
देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख
सोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे,
तालिब ए शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे,
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छै चमचे रहें माइक रहे माला रहे..!!
~अदम गोंडवी























