दोस्तो! अब और क्या तौहीन होगी रीश की

doston ab aur kya tauheen hogi reesh kee

दोस्तो! अब और क्या तौहीन होगी रीश की ब्रेसरी के हुक पे ठहरी चेतना रजनीश की, योग की

जिसके सम्मोहन में पागल, धरती है, आकाश भी है

jiske sammohan me pagal dharti hai aakash bhi hai

जिसके सम्मोहन में पागल, धरती है, आकाश भी है एक पहेली सी से दुनिया, गल्प भी है, इतिहास

इंद्रधनुषी रंग में महकी हुई तहरीर है

indradhanushi rang me mahki hui tahrir hai

इंद्रधनुषी रंग में महकी हुई तहरीर है अमृता की शायरी एक बोलती तस्वीर है, टूटते रिश्तों की तल्ख़ी

वामपंथी सोच का आयाम है नागार्जुन

vaampanthi soch ka aayaam hai nagarjun

वामपंथी सोच का आयाम है नागार्जुन ज़िंदगी में आस्था का नाम है नागार्जुन, ग्रामगंधी सर्जना, उसमें जुलाहे का

नीलोफ़र, शबनम नहीं, अँगार की बातें करो

nilofar shabnam nahi angaar kee baaten karo

नीलोफ़र, शबनम नहीं, अँगार की बातें करो वक़्त के बदले हुए मेयार की बातें करो, भाप बन सकती

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है

bhookhmari kee zad me hai yaa daar ke saaye me hai

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है अहले हिंदुस्तान अब तलवार के साये में

उनका दावा मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया

unka daawa muflisi ka morcha sar ho gaya

उनका दावा मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया पर हक़ीक़त ये है मौसम और बदतर हो गया, बंद

मेरे ख़्वाबों से ओझल उस का चेहरा हो गया है

mere khwabo se ojhal us ka chehra ho gaya hai

मेरे ख़्वाबों से ओझल उस का चेहरा हो गया है मैं ऐसा चाहता कब था पर ऐसा हो

बताता है मुझे आईना कैसी बे रुख़ी से

batata hai mujhe aaeena kaisi be rukhi se

बताता है मुझे आईना कैसी बे रुख़ी से कि मैं महरूम होता जा रहा हूँ रौशनी से, किसे

शिकस्त ए ख़्वाब का हमें मलाल क्यूँ नहीं रहा

shikast e khwab ka humen malal kyun nahi raha

शिकस्त ए ख़्वाब का हमें मलाल क्यूँ नहीं रहा बिछड़ गए तो फिर तिरा ख़याल क्यूँ नहीं रहा