उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी

uthaao sang ki hum me sanak bahut hai abhi

उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी हमारे गर्म लहू में नमक बहुत है अभी, उतर

अब ज़र्द लिबादे भी नहीं ख़ुश्क शजर पर

ab zard libaade bhi nahi khushq shazar par

अब ज़र्द लिबादे भी नहीं ख़ुश्क शजर पर जिस सम्त नज़र उठती है बे रंग है मंज़र, उतरे

मैं सोचता तो हूँ लेकिन ये बात किस से कहूँ

main sochta to hoon lekin ye baat kis se kahoon

मैं सोचता तो हूँ लेकिन ये बात किस से कहूँ वो आइने में जो उतरे तो मैं सँवर

ख़्वाहिशों का इम्तिहाँ होने तो दो

khwahisho ka imtihan hone to do

ख़्वाहिशों का इम्तिहाँ होने तो दो फ़ासले कुछ दरमियाँ होने तो दो, मय कशी भी बा वज़ू होगी

क्यों वो मेरा मरकज़ ए अफ़्कार था ?

kyo wo mera markaz e afqaar tha

क्यों वो मेरा मरकज़ ए अफ़्कार था ? जिस के होने से मुझे इंकार था, यूँ तो मुश्किल

या रब मेरी हयात से ग़म का असर न जाए

yaa rab meri hayat se gam ka asar na jaaye

या रब मेरी हयात से ग़म का असर न जाए जब तक किसी की ज़ुल्फ़ ए परेशाँ सँवर

मुझे प्यार से तेरा देखना मुझे छुप छुपा के वो देखना

mujhe pyar se tera dekhna mujhe chhup chhupa ke wo dekhna

मुझे प्यार से तेरा देखना मुझे छुप छुपा के वो देखना मेरा सोया जज़्बा उभारना तुम्हें याद हो

ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं

ye aish o tarab ke matwaale bekaar ki baaten karte hain

ये ऐश ओ तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार

निगाह ए नाज़ का एक वार कर के छोड़ दिया

nigaah e naaz ka ek waar kar ke chhod diya

निगाह ए नाज़ का एक वार कर के छोड़ दिया दिल ए हरीफ़ को बेदार कर के छोड़

आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए

aankhon se door subah ke taare chale gaye

आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गए, दिल