होंठों से लफ़्ज़ ज़ेहन से अफ़्कार छीन ले

hontho se lafz zehan se afqaar chheen le

होंठों से लफ़्ज़ ज़ेहन से अफ़्कार छीन ले मुझ से मेरा वसीला ए इज़हार छीन ले, नस्लें तबाह

शजर तो कब का कट के गिर चुका है

shajar to kab ka kat ke gir chuka hai

शजर तो कब का कट के गिर चुका है परिंदा शाख़ से लिपटा हुआ है, समुंदर साहिलों से

बच्चे की ज़िद को अब तो मेरा एतिबार दे

bachche kee zidd ko ab to mera aetibar de

बच्चे की ज़िद को अब तो मेरा एतिबार दे ऐ आसमाँ ये चाँद मेरे घर उतार दे, चोरी

ता हद्द ए नज़र कोई भी दम साज़ नहीं है

taa hadd e nazar koi bhi dam saaz nahi hai

ता हद्द ए नज़र कोई भी दम साज़ नहीं है या फिर मेरी चीख़ों में ही आवाज़ नहीं

चराग़ों से हवाएँ लड़ रही हैं

charagon se hawayen lad rahi hain

चराग़ों से हवाएँ लड़ रही हैं कि ख़ुद बच्चों से माएँ लड़ रही हैं, नशेमन तो उजाड़े थे

उसे हम याद आते हैं फक़त फ़ुर्सत के लम्हों में

use hum yaad aate hai faqat fursat ke lamhon me

उसे हम याद आते हैं फक़त फ़ुर्सत के लम्हों में मगर ये बात भी सच है उसे फ़ुर्सत

वो मुहब्बत भी मौसम की तरह निभाता है

wo muhabbat bhi mausam ki tarah nibhata hai

वो मुहब्बत भी मौसम की तरह निभाता है कभी बरसता है कभी बूँद बूँद को तरसाता है, पल

दिल ग़म ए रोज़गार से निकला

dil gam e rozgaar se nikala

दिल ग़म ए रोज़गार से निकला किस घने ख़ारज़ार से निकला, हम-सफ़र हो गए मह ओ अंजुम मैं

मुझ को सज़ा ए मौत का धोका दिया गया

mujh ko saza e maut ka dhoka diya gaya

मुझ को सज़ा ए मौत का धोका दिया गया मेरा वजूद मुझ में ही दफ़ना दिया गया, बोलो

मेज़ चेहरा किताब तन्हाई

maze chehra kitab tanhaai

मेज़ चेहरा किताब तन्हाई बन न जाए अज़ाब तन्हाई, कर रहे थे सवाल सन्नाटे दे रही थी जवाब