ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं, हो रहा हूँ …
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं, हो रहा हूँ …
गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी का जाम बाँधा है तलाश ए दर्द से मंज़िल …
यूँ अपनी गज़लों में न जताता कि मोहब्बत क्या है गर मिलते तो कर के …
आयत ए हिज्र पढ़ी और रिहाई पाई हमने दानिस्ता मुहब्बत में जुदाई पाई, जिस्म ओ …
सज़ा पे छोड़ दिया, कुछ जज़ा पे छोड़ दिया हर एक काम को अब मैंने …
उसको जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ रोकते किस तरह वो शख़्स हमारा था …
दर्द अब वो नहीं रहें जो ऐ दिल ए नादां पहले था खुले सर पर …
देखोगे हमें रोज़ मगर बात न होगी एक शहर में रह कर भी मुलाक़ात न …
नदी में बहते थे नीलम ज़मीन धानी थी तुम्हारे वायदे की रंगत जो आसमानी थी, …