किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब
Sad Poetry
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब
इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं इन आँखों से वाबस्ता अफ़्साने हज़ारों हैं, एक तुम ही
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में, शाम के साए बालिश्तों से नापे
ज़ुल्फ़ ओ रुख़ के साए में ज़िंदगी गुज़ारी है धूप भी हमारी है छाँव भी हमारी है, ग़म
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई, दिन भी
ताक़तें तुम्हारी हैं और ख़ुदा हमारा है अक्स पर न इतराओ आईना हमारा है, आप की ग़ुलामी का
गर्दिश ए साग़र सुबू के दरमियाँ ज़िंदगी है हाओ हू के दरमियाँ, ज़ख़्म और पोशाक भी रखे गए
ये क्या रुत है अब की रुत में देखें ज़र्द गुलाब चेहरे सूखे फूल ख़िज़ाँ के आँखें ज़र्द
हिज्र के मौसम ए तन्हाई के दुख देखे एक चेहरे के पीछे कितने दुख देखे, एक सन्नाटा पहरों
रात दरपेश थी मुसाफ़िर को नींद क्यों आ गई मुसाफ़िर को ? क्या नगर है ये दिल दिखाई