तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा

teesri aankh khulegi to dikhaai dega

तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा और कै दिन मेरा हमज़ाद जुदाई देगा ? वो न आएगा मगर

अचानक तेरी याद का सिलसिला

achanak teri yaad ka silsila

अचानक तेरी याद का सिलसिला अँधेरे की दीवार बन के गिरा, अभी कोई साया निकल आएगा ज़रा जिस्म

सोचते रहते हैं अक्सर रात में

sochate rahte hain aksar raat me

सोचते रहते हैं अक्सर रात में डूब क्यूँ जाते हैं मंज़र रात में ? किस ने लहराई हैं

धूप में सब रंग गहरे हो गए

dhoop me sab rang gahre ho gaye

धूप में सब रंग गहरे हो गए तितलियों के पर सुनहरे हो गए, सामने दीवार पर कुछ दाग़

कोई मौसम हो भले लगते थे

koi mausam ho bhale lagte the

कोई मौसम हो भले लगते थे दिन कहाँ इतने कड़े लगते थे ? ख़ुश तो पहले भी नहीं

दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं ?

din me pariyan kyun aati hai

दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं ऐसी घड़ियाँ क्यूँ आती हैं ? अपना घर आने से पहले इतनी

सफ़र में सोचते रहते हैं छाँव आए कहीं

safar me sochte rahte hai chhanv aaye kahin

सफ़र में सोचते रहते हैं छाँव आए कहीं ये धूप सारा समुंदर ही पी न जाए कहीं, मैं

कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए

kuch to is dil ko saza dee jaaye

कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए उस की तस्वीर हटा दी जाए, ढूँढने में भी मज़ा

सर्दी में दिन सर्द मिला

sardi me din sard mila

सर्दी में दिन सर्द मिला हर मौसम बेदर्द मिला, ऊँचे लम्बे पेड़ों का पत्ता पत्ता ज़र्द मिला, सोचते

दिन एक के बाद एक गुज़रते हुए भी देख

din ek ke baad ek guzarte hue bhi dekh

दिन एक के बाद एक गुज़रते हुए भी देख एक दिन तू अपने आप को मरते हुए भी