तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त…

तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त
हुई ये अपनी मुलाक़ात वो नहीं है दोस्त,

चले ही आओ पुकारा है याद भी किया है
मेरी तो आने की औक़ात वो नहीं है दोस्त,

नसीब में लिखी थी ख़ुशी गई थी मिल
कि आनी ज़ीस्त में फिर रात वो नहीं है दोस्त,

ख़ुलूस भी था बहुत प्यार से ही लाये थे
ये पहली वाली मराआत वो नहीं है दोस्त,

था इश्तियाक़ मुहब्बत हो कम गई है क्यूँ ?
हुई थी फूलो की बरसात वो नहीं है दोस्त,

ख़ुशी मनाई है हमने इस लिए क्योकि
मिली थी दर्द की सौगात वो नहीं है दोस्त..!!

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