नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई
नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई रफ़ू करते करते ज़िन्दगी पहेली हो गई, ये …
नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई रफ़ू करते करते ज़िन्दगी पहेली हो गई, ये …
सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और …
मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं रो ही पड़ा हूँ कभी न रोने …
बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है मेरे नसीब में गम के सिवा धरा …
ख़ाली हाथ ही जाना है क्या खोना क्या पाना है चाहे जितने नाते जोड़ें एक …
ज़िन्दगी भर अज़ाब सहने को दिल मिला है उदास रहने को, एक चुप के हज़ारहा …
हरिस दिल ने ज़माना कसीर बेचा है किसी ने जिस्म किसी ने ज़मीर बेचा है, …
ज़बाँ कुछ और कहती है नज़र कुछ और कहती है मगर ये ज़िंदगी की रहगुज़र …
बिस्तर ए मर्ग पर ज़िंदगी की तलब जैसे ज़ुल्मत में हो रौशनी की तलब, कल …