परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है, …
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है, …
सोच के ख़ुद ही बताएं ये बताने वाले तूने सीखे हैं जो अंदाज़ ज़माने वाले, …
हरिस दिल ने ज़माना कसीर बेचा है किसी ने जिस्म किसी ने ज़मीर बेचा है, …
हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे कि हमको दस्त ए ज़माना से …
कुछ भी था सच के तरफ़दार हुआ करते थे तुम कभी साहब ए किरदार हुआ …
छोटी छोटी बातों पर परिवार बदलते देखे वक़्त ए ज़रूरत सब यार बदलते देखे, अब …
क़िस्मत का लिखा मिटा नहीं सकते अनहोनी को होनी बना नहीं सकते, ज़माने में हस्ब …
दुनियाँ बदल गई है, ज़माना बदल गया है यहाँ जीने का अंदाज़ पुराना बदल गया …
क्या ज़माना था कि हम रोज़ मिला करते थे रात भर चाँद के हमराह फिरा …
दो चार क्या हैं सारे ज़माने के बावजूद हम मिट नहीं सकेंगे मिटाने के बावजूद, …