ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से
ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद …
ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद …
पिछले ज़ख़्मों का इज़ाला न ही वहशत करेगा तुझ से वाक़िफ़ हूँ मेरी जाँ तू …
धोखे पे धोखे इस तरह खाते चले गए हम दुश्मनों को दोस्त बनाते चले गए, …
ज़ख़्म का मरहम दर्द का अपने दरमाँ बेच के आए हैं हम लम्हों का सौदा …
क्यूँ पत्थर को दिल में बसाए बैठे हो ? वो अपना था ही नहीं जिसे …
हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है इसी में वक़्त का सारा हिसाब …
हालात ए ज़िन्दगी से हुए मज़बूर क्या करे ? ज़ख्म ए ज़िगर भी हो गए …
ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं …
तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो ये जो साहिल सा नज़र आता …