बा वक़्त ए शाम सूरज से हुकुमत छीन लेता है
बा वक़्त ए शाम सूरज से हुकुमत छीन लेता है सहर होते ही सितारों से …
बा वक़्त ए शाम सूरज से हुकुमत छीन लेता है सहर होते ही सितारों से …
ख़ुदा से वक़्त ए दुआ हम सवाल कर बैठे वो बुत भी दिल को ज़रा …
सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी कागज़ का घर बना के …
सज़ा पे छोड़ दिया, कुछ जज़ा पे छोड़ दिया हर एक काम को अब मैंने …
ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है क्यूँकि गीत तेरे नाम के बड़े ही …
ख़्वाबो को मेरे प्यार की ताबीर बख्श दे दिल को मेरे इश्क़ की ज़ागीर बख्श …
मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे मैं चुप रहूँ भी तो नग़्मा …
एक मकाँ और बुलंदी पे बनाने न दिया हमको परवाज़ का मौक़ा ही हवा ने …