मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब…
मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब इज्ज़त बख्शी है आलमी अखबारों ने …
मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब इज्ज़त बख्शी है आलमी अखबारों ने …
ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ? हवा में आग बही, तो चमन …
मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा …
ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता जहाँ पीतल ही पीतल हो …
आज कुछ बात है जो ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते जाने क्यूँ अपने ही मालिक …
गर हक़ चाहते हो तो फिर जंग लड़ो गुहार लगाने से कहाँ ये निज़ाम बदलेगा, …
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ ? आजकल दिल्ली में है …
परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं हवा में सनसनी घोले हुए हैं, तुम्हीं कमज़ोर …
कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस …
हकीक़त में नहीं कुछ भी दिखा है क़िताबो में मगर सब कुछ लिखा है, मुझे …