शायरी
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम…
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम रहा ये वहम कि हम हैं सो …
राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा
राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगाजी का दाग़ उजागर हो कर सूरज को …
किसी की आँखों में ऐसा कभी ख़ुमार न था
कोई भी शख्स मगर मेरा गमगुसार न था किसी की आँखों में ऐसा कभी ख़ुमार …
इख़्तियार ए संजीदगी
अक्सर जवानी उजाड़ देती है
इख़्तियार ए संजीदगीअक्सर जवानी उजाड़ देती है रवानी ए ज़िन्दगी कोवहशत उजाड़ देती है, एक …
किसी का दिखावे का प्यार नहीं
बेलौस मुफ़्लिसी भी है क़ुबूल मुझेमगर अमीर ए शहर बदकार नहीं, दुश्मन ए बदतर से …
लम्हा भर वो भी तड़पती होगी
तड़पता हूँ मैं लैल ओ नहारलम्हा भर वो भी तड़पती होगी दुआओं में वो भी …
अबतक किसी का कर्ज़दार नहीं हूँ
इन्सान हूँ इंसानियत की तलब हैकिसी खुदाई का तलबगार नहीं हूँ, ख़ुमारी ए दौलत ना …
तुम्हारी तरह सीने में खंज़र छुपाना नहीं आता
अपनी खताओ पे शर्मिन्दा भी हो जाता हूँमुझे तुम्हारी तरह बहाने बनाना नहीं आता, गर …
इल्ज़ाम फक़त ख्यालात पे क्यों आता है??
हसरत ए दीद ओ वस्ल लिए ख्याल मेरातेरे हुस्न ए ख्वाबीदा से जब टकराता है, …