ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर
ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर खिला खिला सा गुलाब देखा, गज़ब का हुस्न ओ शबाब …
ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर खिला खिला सा गुलाब देखा, गज़ब का हुस्न ओ शबाब …
मौसम बदल गए ज़माने बदल गए लम्हों में दोस्त बरसों पुराने बदल गए, दिन भर …
कहीं पे सूखा कहीं चारों सिम्त पानी है गरीब लोगों पे क़ुदरत की मेहरबानी है, …
इंसानी सोच का मौसम बदलता रहता है फ़ितूरी दिमाग बेकाम भी चलता रहता है, ज़रा …
हिज़्र के मौसम में ये बारिश का बरसना कैसा ? एक सहरा में समन्दर का …
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात …
ऐ यक़ीनों के ख़ुदा शहर ए गुमाँ किस का है नूर तेरा है चराग़ों में …
दिल की बस्ती पे किसी दर्द का साया भी नहीं ऐसा वीरानी का मौसम कभी …
जाने किस करनी का फल होगा कैसी फिजा, कैसे मौसम में जागे हम ? शहरों …