बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ
बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ वो हँसाते भी है ऐसा …
बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ वो हँसाते भी है ऐसा …
कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने …
साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं एक नदी के दो किनारों को …
शबनम है कि धोखा है कि झरना है कि तुम हो दिल दश्त में एक …
रखा न अब कहीं का दिल ए बेक़रार ने बर्बाद कर दिया ग़म ए बे …
आग बहते हुए पानी में लगाने आई तेरे ख़त आज मैं दरिया में बहाने आई, …
हमने कैसे यहाँ गुज़ारी है अश्क खुनी है आह ज़ारी है, हम ही पागल थे …
मैंने माना कि तुम ज़ालिम नहीं हो मगर क्या मालूम था कि हम तुमसे डर …
हमें कोई गम न था, गम ए आशिकी से पहले न थी दुश्मनी किसी से, …