आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं
आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं मुहब्बतों से राहतें न तुझे मिलीं …
आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं मुहब्बतों से राहतें न तुझे मिलीं …
जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से …
तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर कोई गिला नहीं फिर तेरे बे …
सुकुन के दिन फ़रागत की रात से भी गए तुझे गँवा के हम भारी कायनात …
जब भी तुम चाहों मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की …
कैसे होता है मुमकिन ये गवारा करना दिल में बसे हुए लोगो से किनारा करना, …
बारहा तुझ से कहा था मुझे अपना न बना अब मुझे छोड़ के दुनिया में …
ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो हरगिज़ ना दुखाना दिल जो चोट …
मिलने का भी आख़िर कोई इम्कान बनाते मुश्किल थी अगर कोई तो आसान बनाते, रखते …
दिल दे कर संगदिल को ज़िन्दगी दुश्वार नहीं करना यूँ हर किसी से अपने इश्क़ …