लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ?
लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ? सुख दुःख भी जब बाँटने हो …
लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ? सुख दुःख भी जब बाँटने हो …
दोस्ती को आम करना चाहता है ख़ुद को नीलाम करना चाहता है, बेंच आया है …
मिलते है दोस्त क़िस्मत से ज़माने में हर एक होता नहीं क़ाबिल ए ऐतबार ज़माने …
झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा यार तेरा तो हर एक बहाना झूठा, कैसे ऐतबार करूँ …
दोस्त क्या ख़ूब वफ़ा का सिला देते है हर नये मोड़ पर एक ज़ख्म नया …
गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में …
जो पत्थरो में जुबां ढूँढे हम वो चीज है दोस्त है मर्ज़ ख़्वाब सजाना तो …
दोस्तों से रसाई सोचेंगे सबसे हो आशनाई सोचेंगे, सोचती चाहे जो रहे दुनियाँ हम तो …
तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त हुई ये अपनी मुलाक़ात वो …
वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो दिया नहीं, वो जो …