बात करते है यहाँ क़तरे भी समन्दर की तरह
बात करते है यहाँ क़तरे भी समन्दर की तरह अब लोग ईमान बदलते है कैलेंडर …
बात करते है यहाँ क़तरे भी समन्दर की तरह अब लोग ईमान बदलते है कैलेंडर …
भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है तेरी मेरी, मेरी तेरी सब की …
देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा रू ए ज़मीं पे जन्नत, जन्नत निशान मेरा, …
मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब इज्ज़त बख्शी है आलमी अखबारों ने …
ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ? हवा में आग बही, तो चमन …
एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम और दुनिया ये समझती है कि आज़ाद …
एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने …
नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर इत्तिहाद ओ अमन ओ शराफ़त की …
इस देस का रंग अनोखा था इस देस की बात निराली थी नग्मो से भरे …
सोहनी धरती के रखवाले ये प्यारे खाक़ी वर्दी वाले, हर बाप का फ़ख्र ओ गुरुर …