किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई …
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई …
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो …
हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, …
मेरा दिल बुराई से तू साफ़ कर दे ऐ देने वाले मुझे माफ़ कर दे, …
तुम हो जब मेरे लिए हैं दो जहाँ मेरे लिए ये ज़मीं मेरे लिए ये …
ज़िन्दगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख्शे है तो तौफ़ीक ए …
मेरे लोग ख़ेमा ए सब्र में मेरा शहर गर्द ए मलाल में अभी कितना वक़्त …
सावन को ज़रा खुल के बरसने की दुआ दो हर फूल को गुलशन में महकने …
सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली है ये तकल्लुफ़ है कि जज़्बात …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …