मुँह की बात सुने हर कोई…
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों …
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों …
तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर कोई गिला नहीं फिर तेरे बे …
कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है ऐरों ग़ैरों का एहसान उठाना पड़ता है, टेढ़े …
जाग उठेंगे दर्द पुराने ज़ख़्मों की अँगनाई में दिल की चोट उभर आएगी मत निकलो …
वो दर्द वो वफ़ा वो मुहब्बत तमाम शुद लिए दिल में तेरे क़ुर्ब की हसरत …
जब भी तुम चाहों मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की …
कैसे होता है मुमकिन ये गवारा करना दिल में बसे हुए लोगो से किनारा करना, …
ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो हरगिज़ ना दुखाना दिल जो चोट …