लाख रहे शहरों में फिर भी अन्दर से देहाती थे
लाख रहे शहरों में फिर भी अन्दर से देहाती थे दिल के अच्छे लोग थे …
लाख रहे शहरों में फिर भी अन्दर से देहाती थे दिल के अच्छे लोग थे …
हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता …
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाक़ी है, कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है …
मर चुका हूँ कई बार फिर भी कई बार मरना है मरने से पहले ज़िन्दगी …
मैं सुबह बेचता हूँ, मैं शाम बेचता हूँ नहीं मैं महज़ अपना काम बेचता हूँ, …
मैंने दुनियाँ से, मुझसे दुनियाँ ने सैकड़ो बार बेवफ़ाई की, आसमां चूमता है मेरे क़दम …
किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ? दिल सलामत नहीं तो क्या रखिए ? लिखिए …
जो होने वाला है वो हादसा दिखाई तो दे कोई चराग जलाओ हवा दिखाई तो …
तर्क ए ग़म गवारा है और न ग़म का यारा है अब तो दिल की …