बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े
बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े जब ज़ीस्त ने मजाक उड़ाया तो …
बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े जब ज़ीस्त ने मजाक उड़ाया तो …
कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है ऐरों ग़ैरों का एहसान उठाना पड़ता है, टेढ़े …
बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है मेरे नसीब में गम के सिवा धरा …
उसने कहा कि मुझसे तुम्हें कितना प्यार है ? मैंने कहा सितारों का भी कोई …
बारहा तुझ से कहा था मुझे अपना न बना अब मुझे छोड़ के दुनिया में …
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर …
कभी झूठे सहारे ग़म में रास आया नहीं करते ये बादल उड़ के आते हैं …
गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी का जाम बाँधा है तलाश ए दर्द से मंज़िल …
ख़ुशी ने मुझको ठुकराया है दर्द ओ गम ने पाला है गुलो ने बे रुखी …