वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर…
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब ? इंसाँ इंसाँ …
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब ? इंसाँ इंसाँ …
वो इंसाँ जो शिकार ए गर्दिश ए अय्याम होता है भला करता है दुनिया का …
ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए खत्म पहले मज़हब का घमासान होना …