आँखे
ढूँढ़ते क्या हो इन आँखों में कहानी मेरी
ढूँढ़ते क्या हो इन आँखों में कहानी मेरी ख़ुद में गुम रहना तो आदत है …
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ…
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ, एक जंगल है तेरी आंखों …
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात …
आँखें यूँ बरसीं पैराहन भीग गया…
आँखें यूँ बरसीं पैरहन भीग गया तेरे ध्यान में सारा सावन भीग गया, ख़ुश्क महाज़ो …
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को…
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे, कह देना …