गैरो में तुमने मुझको अपना कहा शुक्रिया

दुनियाँ के फ़िक्र ओ गम से आज़ाद किया शुक्रिया
ऐ दोस्त ! तेरा और तेरी दोस्ती का शुक्रिया ,

तेरी महफ़िल में मेरा ज़िक्र हुआ आज शुक्रिया
मुझे भी वाह तुमने याद किया आज शुक्रिया,

तुम मुझसे दूर रह कर गैरो के न हुए
गैरो में तुमने मुझको अपना कहा शुक्रिया,

तुमने सजा लिया है लेकिन अभी न देखना
अपनी निगाहों में हमारा अक्स शुक्रिया,

हम सोचते रहे कहे या कि न कहे
इस नज़र ए इनायत का एक बार शुक्रिया,

सुखनवर तेरा जवाब नहीं अहल ए क़लम में
कहना आसान कर दिया दिल का पयाम शुक्रिया..!!

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