ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ye aarzoo thik ki tujhe gul ke rubru karte

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते हम और बुलबुल ए बेताब गुफ़्तुगू करते, पयाम्बर न मयस्सर

कुछ भी था सच के तरफ़दार हुआ…

kuchh bhi tha sach ke tarafdaar hua karte the

कुछ भी था सच के तरफ़दार हुआ करते थे तुम कभी साहब ए किरदार हुआ करते थे, सुनते

मुसाफ़िर भी सफ़र में इम्तिहाँ देने से…

musafir bhi safar me imtihan dene se darte hai

मुसाफ़िर भी सफ़र में इम्तिहाँ देने से डरते हैं मोहब्बत क्या करेंगे वो जो जाँ देने से डरते

नींदों का बोझ पलकों पे ढोना पड़ा मुझे

neendon ka bojh palakon pe dhona pada mujhe

नींदों का बोझ पलकों पे ढोना पड़ा मुझे आँखों के इल्तिमास पे सोना पड़ा मुझे, ता उम्र अपने

सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे

sach bolne ke taur tarike nahi rahe

सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे, वैसे तो हम

हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है

हर गम से मुस्कुराने

हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता और संभलता है,

एक ही धरती हम सब का घर जितना…

ek hi dharti ham sab ka ghar

एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा दुख सुख का ये जंतर मंतर जितना

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

duniya jise kahte hai

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है,

वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं…

wo shakhs ki main jis se mohabbat nahi karta

वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं करता हँसता है मुझे देख के नफ़रत नहीं करता, पकड़ा

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो…

wo dil hi kya tere milne ki jo duaa na kare

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ