अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम

ab kya batayen tute hai kitne kahan se hum

अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम ख़ुद को समेटते हैं यहाँ से वहाँ से हम

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

yahan har shakhs har pal haadsa hone se

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से

ज़िंदगी तू ने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं

zindagi tu ne lahoo le ke diya kuch bhi nahin

ज़िंदगी तू ने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं तेरे दामन में मेरे वास्ते क्या कुछ भी

तह ब तह है राज़ कोई आब की तहवील में

tah ba tah hai raaz koi aab ki tahweel me

तह ब तह है राज़ कोई आब की तहवील में ख़ामुशी यूँ ही नहीं रहती है गहरी झील

नए सिरे से कोई सफ़र आग़ाज़ नहीं करता

naye sire se koi safar aagaaz nahin karta

नए सिरे से कोई सफ़र आग़ाज़ नहीं करता जाने क्यूँ अब दिल मेरा परवाज़ नहीं करता, कितनी बुरी

एक अजब सी दुनिया देखा करता था

ek azab see duniya dekha karta tha

एक अजब सी दुनिया देखा करता था दिन में भी मैं सपना देखा करता था, एक ख़याल आबाद

सुल्ह की हद तक सितमगर आ गया

sulah ki had tak sitamgar aa gaya

सुल्ह की हद तक सितमगर आ गया आइने की ज़द में पत्थर आ गया, आग तो सुलगी थी

सर पटकती रही दश्त ए ग़म की हवा

sar patakti rahi dasht e gam ki

सर पटकती रही दश्त ए ग़म की हवा उन की यादों के झोंके भी चलते रहे शाम से

बस एक तेरे ख़्वाब से इंकार नहीं है

bas ek tere khwab se inkaar nahin hai

बस एक तेरे ख़्वाब से इंकार नहीं है दिल वर्ना किसी शय का तलबगार नहीं है, आँखों में

याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बाद

yaad karte ho mujhe suraj nikal jaane ke baad

याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बाद एक सितारे ने ये पूछा रात ढल जाने के