अच्छे दिन कब आएँगे ?

achche din kab aayenge

अच्छे दिन कब आएँगे क्या यूँ ही मर जाएँगे ? अपने आप को ख़्वाबों से कब तक हम

नींद रातों की उड़ा देते हैं

neend raaton ki uda dete hain

नींद रातों की उड़ा देते हैं हम सितारों को दुआ देते हैं, रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू ख़ास

है कोई बैर सा उस को मेरी तदबीर के साथ

hai koi bair saa us ko meri tadbir ke saath

है कोई बैर सा उस को मेरी तदबीर के साथ अब कहाँ तक कोई झगड़ा करे तक़दीर के

एक ख़ला अंदर उतर जाने दिया

ek khalaa andar utar jaane diya

एक ख़ला अंदर उतर जाने दिया ख़ुद को ख़ालीपन से भर जाने दिया, जान मुड़ कर देखती थी

ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए

gam ko dil ka qarar kar liya jaaye

ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए इस ख़िज़ाँ को बहार कर लिया जाए, फिर जुनूँ को

अक्स मौजूद न साया मौजूद

aqs mauzood na saya mauzood mujh me

अक्स मौजूद न साया मौजूद मुझ में अब कुछ नहीं मेरा मौजूद, निकल आता हूँ मैं अक्सर बाहर

कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं

koshish to hai ki zabt ko ruswa karoon nahin

कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं हँस कर मिलूँ सभी से किसी पर खुलूँ नहीं,

कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ

kuch is qadar main khirad ke asar me aa gaya hoon

कुछ इस क़दर मैं ख़िरद के असर में आ गया हूँ सिमट के सारा का सारा ही सर

बे घरी का अपनी ये इज़हार कम कर दीजिए

be ghari ka apni ye izhaar kam kar dijiye

बे घरी का अपनी ये इज़हार कम कर दीजिए शेर में ज़िक्र ए दर ओ दीवार कम कर

दुनिया से जिस से आगे का सोचा नहीं गया

duniya se jis se aage ka socha nahi gaya

दुनिया से जिस से आगे का सोचा नहीं गया हम से वहाँ पहुँच के भी ठहरा नहीं गया,