नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर…

नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर
इत्तिहाद ओ अमन ओ शराफ़त की बात कर,

मत कर हमारे मुल्क में गन्दी सियासते
एक दूसरे के दर्द में शिरकत की बात कर,

क्यूँ मस्लकी लड़ाई में उलझा हुआ है तू ?
रोज़ा, नमाज़, हज़, ओ इबादत की बात कर,

एक दूसरे को काफ़िर ओ मुशरिक न बोलना
इस्लाम का सबक़ है ये उल्फ़त की बात कर,

मत बाँट अपनी कौम को फ़िरको के नाम पर
रहना है हमको प्यार से इज्ज़त की बात कर..!!

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