कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगा…

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगा
कलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा,

हर धर्म की रामायण युग-युग से ये कहती है
सोने का हिरण लोगे, सीता का हरण होगा,

जब प्यार किसी दिल का पूजा में बदल जाए
हर साँस दुआ होगी हर शब्द भजन होगा,

ग़म गम के अंधेरों से, मायूस हो न जाना
हर रात की मुट्ठी में, सूरज का रतन होगा..!!

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