जब से तेरी हर बात में रहने लगे

जब से तेरी हर बात में रहने लगे
दुश्मन मेरे औक़ात में रहने लगे,

ये बात भी उनको गँवारा कैसे हो ?
हम जो तेरे दिन रात में रहने लगे,

अब है ख़ुदा हाफिज़ तेरे इस इश्क़ का
आशिक़ भी अब जज़्बात में रहने लगे,

कोई क़यामत सी उठी है शहर में
कुछ लोग अब सदमात में रहने लगे,

मशहूर थे कल तक सखी के नाम से
अब जाने क्यूँ खैरात में रहने लगे..!!

Leave a Reply

error: Content is protected !!