हालात थे ख़राब या मैं ख़राब था…

हालात थे ख़राब या मैं ख़राब था
मेरे सवाल में शामिल जवाब था,

ख़ुशी मेरी क़िस्मत ने छिनी
मगर दर्द मेरा अपना इंतेखाब था,

अमल की दुनियाँ में आगे नहीं तो क्या हुआ ?
नसीहतों के मामले में हर शख्स नवाब था,

दिखावे की दुनियाँ में उजालो की चाल देखो
इन आँखों को लग रहा हर चेहरा माहताब था,

दूसरों के सामने ख़ुद को सजावटो में छुपाने वाला
अपनी ही ज़ात में बे नक़ाब था,

छुड़वाया जो मुझसे आज की तालीम ने अब्बास
ज़िन्दगी की क़िताब में वो इश्क़ का ब़ाब था..!!

~अब्बास तन्हा

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